पंतप्रधान श्री नरेंद्र मोदी यांच्या अध्यक्षतेखालील केंद्रीय मंत्रिमंडळाने देशातील इलेक्ट्रिक मोबिलिटीला प्रोत्साहन देण्यासाठी ‘फेज इंडिया फेज II’ (फेम इंडिया फेज II) ’या इलेक्ट्रिक वाहनांचे वेगवान दत्तक व उत्पादन योजनेच्या अंमलबजावणीच्या प्रस्तावाला मंजुरी दिली.
तीन वर्षांच्या कालावधीत एकूण १००००० कोटी रुपये खर्च असलेली ही योजना १ एप्रिल २०१९ पासून लागू केली जाईल. ही योजना सध्याच्या 'एफएएमए इंडिया २०११' या योजनेची विस्तृत आवृत्ती असून ती १ एप्रिल २०११ रोजी सुरू करण्यात आली होती.
आर्थिक परिणामः
या योजनेसाठी एकूण निधीची आवश्यकता रु. 2019-20 ते 2021-22 या तीन वर्षात 10,000 कोटी रुपये.
प्रभावः
विद्युत वाहनांच्या खरेदीसाठी अग्रगण्य प्रोत्साहन आणि इलेक्ट्रिक वाहनांसाठी आवश्यक असणारी चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित करण्याद्वारे इलेक्ट्रिक आणि संकरित वाहनांच्या वेगवान अवलंबनास या योजनेचे मुख्य उद्दीष्ट आहे. पर्यावरण प्रदूषण आणि इंधन सुरक्षेच्या समस्येवर लक्ष देण्यास ही योजना मदत करेल.
तपशीलः
सार्वजनिक वाहतुकीच्या विद्युतीकरणावर जोर देण्यात आला आहे ज्यात सामायिक वाहतुकीचा समावेश आहे.
Operational ऑपरेशनल खर्च मोडवर प्रोत्साहन मागणी! राज्य / शहर परिवहन महामंडळ (एसटीयू) मार्फत इलेक्ट्रिक बसगाड्या दिल्या जातील.
3 3 डब्ल्यू आणि 4 डब्ल्यू विभागातील प्रोत्साहन प्रामुख्याने सार्वजनिक वाहतुकीसाठी वापरल्या गेलेल्या किंवा व्यावसायिक कारणांसाठी नोंदणीकृत वाहनांना लागू असेल.
E ई -2 डब्ल्यूएस विभागात खासगी वाहनांवर लक्ष केंद्रित केले जाईल.
The योजनेच्या माध्यमातून 10 लाख ई -2 डब्ल्यू, 5 लाख ई -3 डब्ल्यू, 55000 4 डब्लू आणि 7000 बसेसला आधार देण्याचे नियोजन आहे.
अॅडव्हान्स टेक्नॉलॉजीस प्रोत्साहित करण्यासाठी, प्रोत्साहनांचे फायदे केवळ अशा वाहनांना वाढविले जातील जे लिथियम आयन बॅटरी आणि इतर नवीन तंत्रज्ञानाच्या बॅटरी सारख्या आगाऊ बॅटरीने फिट असतील.
चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चरच्या स्थापनेची योजना या योजनेत प्रस्तावित आहे, त्यानुसार देशभरातील महानगरांमध्ये, इतर दशलक्षाहून अधिक शहरे, स्मार्ट शहरे आणि हिलि राज्यातील शहरे येथे सुमारे 2700 चार्जिंग स्टेशनची स्थापना केली जाईल जेणेकरून ग्रीडमध्ये कमीतकमी एका चार्जिंग स्टेशनची उपलब्धता होईल. 3 किमी x 3 किमी.
प्रमुख शहर समूहांना जोडणार्या प्रमुख महामार्गांवरही चार्जिंग स्टेशनची स्थापना प्रस्तावित आहे.
क्या है ‘फेम इंडिया’ स्कीम
दरअसल सरकार की योजना ‘फेम इंडिया’ के तहत साल 2022 तक देश को पॉल्यूशन मुक्त बनाने की है। जिसके लिए सरकार ने फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाईब्रिड एंड इलेकिट्रक्ल व्हीकल्स यानी (फेम) इंडिया स्कीम बनाई है। इसका मकसद कस्टमर को सस्ते दामों पर हाईब्रिड व इलेकिट्रकल वाहन उपलब्ध कराना है। जिसके तहत डीजल और पेट्रोल की जगह हाइब्रिड और इलेकिट्रकल दोपहिया वाहन, कार, तिपहिया वाहन और हल्के व भारी कमर्शियल वाहनों के लिए देशभर में इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। साथ ही इसका उत्पादन भी भारत में किया जाएगा। इसके अलावा इस स्कीम को सफल बनाने के लिए दोपहिया, तिपहिया वाहन और कार पर छूट भी देगी। सरकार इस स्कीम के तहत पहले दो साल में 795 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसके लिए 2015-16 के बजट में 75 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। जिसमें से 30 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए गए हैं।
क्या है ‘फेम इंडिया’ स्कीम और इसका मकसद…………..
यह स्कीम इन शहरों में होगी लागू फेम इंडिया स्कीम देश के प्रमुख मेट्रोपोलिटन सिटी दिल्ली एनसीआर, ग्रेटर मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलूर, हैदराबाद और अहमदाबाद में लागू किया जाएगा। इसके अलावा साल 2011 की जनगणना के अनुसार जिन शहरों की जनसंख्या 10 लाख से ज्यादा होगी वहां भी इसको लागू किया जाएगा। इसके साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों के शहरों में भी यह स्कीम लागू होगा। वहीं, राज्य यदि चाहें तो इसे अपने अन्य शहरों में भी लागू कर सकते हैं। इस स्कीम के तहत वाहनों पर छूट इस स्कीम को सफल बनाने के लिए सरकार कस्टमर को हाईब्रिड और इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स खरीदने पर छूट देगी। जिसमें टू-व्हीलर स्कूटर पर 1800 से लेकर 22 हजार रुपए, मोटरसाइकिल पर 3500 से 29 हजार रुपए, थ्री-व्हीलर ऑटोरिक्शा पर 3300 से 61 हजार रुपए, फोर-व्हीलर कार पर 11000 से 1 लाख 38 हजार रुपए व हल्के कमर्शियल व्हीकल्स पर 17000 से 1 लाख 87 हजार रुपए और हेवी कमर्शियल व्हीकल्स बस पर 30 लाख से 66 लाख रुपए तक की छूट दी जाएगी। अगली स्लाइड में पढ़िए, क्या है फेम इंडिया; स्कीम और इसका मकसद&&&&..इस स्कीम का क्या है फायदा सरकार का मकसद साल 2022 तक देश को पॉल्यूशन मुक्त बनाना है। जिसके लिए सरकार फेम इंडिया को बढ़ावा दे रही है। ताकि विदेश से होने वाले पेट्राल और डीजल के आयात को कम करना और इस पर खर्च होने वाले विदेशी मुद्रा का बचत भी करना है। जिससे सरकार को तकरीबन 62 हजार करोड़ रुपए के बचत होने की उम्मीद है। इस स्कीम के जरिए लोकल मैन्युफैक्चिरिंग से सीधे तौर पर 60 से 65 हजार लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। साथ ही अप्रत्यक्ष तौर पर हाईब्रिड और इलेक्ट्रिकल वाहनों से जुड़े हुए पुर्जो जैसे बैट्री, मोटर्स और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के निमार्ण आदि से भी रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यानी कि इस स्कीम से कुल मिलाकर इससे 2.50 से 3 लाख लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। वहीं, सरकार का मकसद इस स्कीम के जरिए मेक इन इंडिया और नेशनल ट्रांस्पोर्ट पॉलिसी को भी बढ़ावा देना है।
तीन वर्षांच्या कालावधीत एकूण १००००० कोटी रुपये खर्च असलेली ही योजना १ एप्रिल २०१९ पासून लागू केली जाईल. ही योजना सध्याच्या 'एफएएमए इंडिया २०११' या योजनेची विस्तृत आवृत्ती असून ती १ एप्रिल २०११ रोजी सुरू करण्यात आली होती.
आर्थिक परिणामः
या योजनेसाठी एकूण निधीची आवश्यकता रु. 2019-20 ते 2021-22 या तीन वर्षात 10,000 कोटी रुपये.
प्रभावः
विद्युत वाहनांच्या खरेदीसाठी अग्रगण्य प्रोत्साहन आणि इलेक्ट्रिक वाहनांसाठी आवश्यक असणारी चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित करण्याद्वारे इलेक्ट्रिक आणि संकरित वाहनांच्या वेगवान अवलंबनास या योजनेचे मुख्य उद्दीष्ट आहे. पर्यावरण प्रदूषण आणि इंधन सुरक्षेच्या समस्येवर लक्ष देण्यास ही योजना मदत करेल.
तपशीलः
सार्वजनिक वाहतुकीच्या विद्युतीकरणावर जोर देण्यात आला आहे ज्यात सामायिक वाहतुकीचा समावेश आहे.
Operational ऑपरेशनल खर्च मोडवर प्रोत्साहन मागणी! राज्य / शहर परिवहन महामंडळ (एसटीयू) मार्फत इलेक्ट्रिक बसगाड्या दिल्या जातील.
3 3 डब्ल्यू आणि 4 डब्ल्यू विभागातील प्रोत्साहन प्रामुख्याने सार्वजनिक वाहतुकीसाठी वापरल्या गेलेल्या किंवा व्यावसायिक कारणांसाठी नोंदणीकृत वाहनांना लागू असेल.
E ई -2 डब्ल्यूएस विभागात खासगी वाहनांवर लक्ष केंद्रित केले जाईल.
The योजनेच्या माध्यमातून 10 लाख ई -2 डब्ल्यू, 5 लाख ई -3 डब्ल्यू, 55000 4 डब्लू आणि 7000 बसेसला आधार देण्याचे नियोजन आहे.
अॅडव्हान्स टेक्नॉलॉजीस प्रोत्साहित करण्यासाठी, प्रोत्साहनांचे फायदे केवळ अशा वाहनांना वाढविले जातील जे लिथियम आयन बॅटरी आणि इतर नवीन तंत्रज्ञानाच्या बॅटरी सारख्या आगाऊ बॅटरीने फिट असतील.
चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चरच्या स्थापनेची योजना या योजनेत प्रस्तावित आहे, त्यानुसार देशभरातील महानगरांमध्ये, इतर दशलक्षाहून अधिक शहरे, स्मार्ट शहरे आणि हिलि राज्यातील शहरे येथे सुमारे 2700 चार्जिंग स्टेशनची स्थापना केली जाईल जेणेकरून ग्रीडमध्ये कमीतकमी एका चार्जिंग स्टेशनची उपलब्धता होईल. 3 किमी x 3 किमी.
प्रमुख शहर समूहांना जोडणार्या प्रमुख महामार्गांवरही चार्जिंग स्टेशनची स्थापना प्रस्तावित आहे.
क्या है ‘फेम इंडिया’ स्कीम
दरअसल सरकार की योजना ‘फेम इंडिया’ के तहत साल 2022 तक देश को पॉल्यूशन मुक्त बनाने की है। जिसके लिए सरकार ने फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाईब्रिड एंड इलेकिट्रक्ल व्हीकल्स यानी (फेम) इंडिया स्कीम बनाई है। इसका मकसद कस्टमर को सस्ते दामों पर हाईब्रिड व इलेकिट्रकल वाहन उपलब्ध कराना है। जिसके तहत डीजल और पेट्रोल की जगह हाइब्रिड और इलेकिट्रकल दोपहिया वाहन, कार, तिपहिया वाहन और हल्के व भारी कमर्शियल वाहनों के लिए देशभर में इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। साथ ही इसका उत्पादन भी भारत में किया जाएगा। इसके अलावा इस स्कीम को सफल बनाने के लिए दोपहिया, तिपहिया वाहन और कार पर छूट भी देगी। सरकार इस स्कीम के तहत पहले दो साल में 795 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसके लिए 2015-16 के बजट में 75 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। जिसमें से 30 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए गए हैं।
क्या है ‘फेम इंडिया’ स्कीम और इसका मकसद…………..
यह स्कीम इन शहरों में होगी लागू फेम इंडिया स्कीम देश के प्रमुख मेट्रोपोलिटन सिटी दिल्ली एनसीआर, ग्रेटर मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलूर, हैदराबाद और अहमदाबाद में लागू किया जाएगा। इसके अलावा साल 2011 की जनगणना के अनुसार जिन शहरों की जनसंख्या 10 लाख से ज्यादा होगी वहां भी इसको लागू किया जाएगा। इसके साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों के शहरों में भी यह स्कीम लागू होगा। वहीं, राज्य यदि चाहें तो इसे अपने अन्य शहरों में भी लागू कर सकते हैं। इस स्कीम के तहत वाहनों पर छूट इस स्कीम को सफल बनाने के लिए सरकार कस्टमर को हाईब्रिड और इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स खरीदने पर छूट देगी। जिसमें टू-व्हीलर स्कूटर पर 1800 से लेकर 22 हजार रुपए, मोटरसाइकिल पर 3500 से 29 हजार रुपए, थ्री-व्हीलर ऑटोरिक्शा पर 3300 से 61 हजार रुपए, फोर-व्हीलर कार पर 11000 से 1 लाख 38 हजार रुपए व हल्के कमर्शियल व्हीकल्स पर 17000 से 1 लाख 87 हजार रुपए और हेवी कमर्शियल व्हीकल्स बस पर 30 लाख से 66 लाख रुपए तक की छूट दी जाएगी। अगली स्लाइड में पढ़िए, क्या है फेम इंडिया; स्कीम और इसका मकसद&&&&..इस स्कीम का क्या है फायदा सरकार का मकसद साल 2022 तक देश को पॉल्यूशन मुक्त बनाना है। जिसके लिए सरकार फेम इंडिया को बढ़ावा दे रही है। ताकि विदेश से होने वाले पेट्राल और डीजल के आयात को कम करना और इस पर खर्च होने वाले विदेशी मुद्रा का बचत भी करना है। जिससे सरकार को तकरीबन 62 हजार करोड़ रुपए के बचत होने की उम्मीद है। इस स्कीम के जरिए लोकल मैन्युफैक्चिरिंग से सीधे तौर पर 60 से 65 हजार लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। साथ ही अप्रत्यक्ष तौर पर हाईब्रिड और इलेक्ट्रिकल वाहनों से जुड़े हुए पुर्जो जैसे बैट्री, मोटर्स और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के निमार्ण आदि से भी रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यानी कि इस स्कीम से कुल मिलाकर इससे 2.50 से 3 लाख लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। वहीं, सरकार का मकसद इस स्कीम के जरिए मेक इन इंडिया और नेशनल ट्रांस्पोर्ट पॉलिसी को भी बढ़ावा देना है।
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